Monday, 9 September 2013

भिखमंगा



सभी यहाँ भिखमंगा है
कोई खुल कर भीख मांगता है
तो कोई छुप कर भीख मांगता है
कोई धामे हाथ कटोरा है
तो कोई धामे बन्दुक गोला है
पर सभी यहाँ भिखमंगा है

कोई भेष भिखाड़ी का पकड़ा है
कोई लंगड़ा तो लुल्हा है
कोई बाबा भेष बनाया है
तो कोई कला धन कमाया है
कोई देश बेच कर खाता है

ये भेष कभी नहीं उतरेगा
ये लोग कभी नहीं सुधरेगा
ये ऐसे ही चलते जायेंगे
चाहे रोज़ कोई पछतायेंगे
ये देश का एक ही नारा है
गर तुम नहीं सुधरोगे
तो , हम भी नहीं सुधरेंगे

ना ओ कभी सुधरेंगे
ना मै कभी सुधरूंगा
इस देश बेच कर खाऊंगा
तब तक कही नहीं जाऊँगा
कोई भिखमंगा नाम भले रख दे
मै रोड पे भीख नहीं मांगूंगा
इस्वर सब कुछ देखता है
मै नहीं तो क्या ?
मेरे बच्चे रोड पे मांगेगे
गर अभी नहीं पछतायेंगे
पर सभी यहाँ भिखमंगा है


संजय कुमार झा  - नागदह   10/09/2013

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