तर्ज़ & जय जय भैरवि अशुर भयाऊनि
जय जय सीता मिथिला तारिणी
जनक धिया सुखदाई
सुंदर सुमति दिय हे माता
दुःख निवारू माई
जय जय सीता मिथिला तारिणी ।
अति कोमल राम ह्रिदय वासिनी
हनुमत के आहां माई
रावण राक्षस
मारक कारण
रामक नाम देखाई
जय जय सीता मिथिला तारिणी ।
गोर वरन नयन अतिसुंदर
मधुर वचन तोर माता
पति परमेश्वर मात्र आहां बुझल
दोसर कियो ने विधाता
जय जय सीता मिथिला तारिणी ।
हनुमत के आहां अमर बनाओल
पति के आज्ञा सिरु अपनाओल
लव - कुश के स्वाबलंबी बनाओल
संजय के ने बिसरू माता
जय जय सीता मिथिला तारिणी ।
संजय कुमार झा "नागदह" ०५/०८/२०१३
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