एक जुट होउ मिथिलावासी, तखनहि बनत मिथिला राज्य !
आ नहीं, त अपने में होईत रहु विभाज्य !!
आ करैत रहु, हमरा चाही मिथिला राज्य !
हमरा चाही मिथिला राज्य, हमरा चाही मिथिला राज्य !!
मिथिला के भविष्य त, उठाये लेने छथि जगदीश !
आबो त सब मिलि - जुलि क, हाथ जोड़ी नवाऊ शीश !!
जतेक संघ आ पार्टी, सब अपने -अपने करैत रहु तीन - पांच !
ऐना जां करैत रहब, त कखनो नै मिळत घांच !!
बेसी हम की कहु, अपने सब छि बड्ड बुझनुक !
कनी ओहो, कनी तोंहू, कनि कनिक सब झुक !!
जे सब एही काज में झुकबहक, तकरे नाम उठ त !
आ नहि, त सबटा कबिलपंथी घुसरि जे त !!
एतै कियो वीर बहादुर, सब के कर जोड़ी निहोरा करत !
आ मिथिला के लोक के, एक जुट करैत, राज्य बनेबे टा करत !!
फेर पुछै छि, बात बुझै छि ? केना बनेबई मिथिला राज्य !
एक जुट होउ मिथिलावासी, तखनहि बनत मिथिला राज्य !!
संजय कुमार झा "नागदह" ०१/०९/२०१३