Tuesday, 5 August 2014

हे भोलानाथ

कखन हरब दुःख मोर
हे भोलानाथ

दुखहि जनम भेल , दुखहि गमाओल
सुख सपनेहु नहीं भेल
हे भोला नाथ ...

एही भवसागर थाह कतहु नहि
भैरव धरु करुआर

हे भोलानाथ
भन विद्यापति मोर भोलानाथ गति
देहु अभय बार मोहि

हे भोलानाथ ....

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